बुधवार, 21 जनवरी 2009

टीवी लादेन के आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक

टीवी पर विद्वानों-संतों के विचार:---
मुनिश्री तरुण सागर ने कहा--
"आज विभिन्न चैनलों द्वार देश पर जो सांस्कृतिक हमले हो रहे हैं वे ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों के हमले से भी ज्यादा खतरनाक हैं."
ओशो रजनीश ने कहा:---
"क्यों लोगों को सारा दिन टेलिविज़न देखना जरूरी है? इसके मनोविज्ञान में झांकना होगा. ये लोग स्वयं के सम्बन्ध में बस कुछ भी जानना नहीं चाहते हैं. ये लोग टेलिविज़न देखने में स्वयं से बचने का प्रयास कर रहे हैं."
नील पोस्टमन ने कहा:---
"टीवी गंभीर मसले को भी मनोरंजन के थाल में सजाकर परोसता है, क्योंकि यह उसके स्वभाव में निहित है. "
कानन झिंगन ने कहा;----
"ख़ुद शाम को पैर फैलाकर लगातार टीवी देखेंगे पर उम्मीद करेंगे कि बच्चे दूसरे कमरे में जाकर पढ़े. पढने का आदर्श पहले ख़ुद को बनाना पड़ता है. "
अखंड ज्योति पत्रिका ने कहा---
"टीवी धारावाहिक वह दिखाने लगे, जो भारतीय संस्कृति का परिचायक नहीं है, पश्चिम में जो हो रहा है, जिसमे इन सबकी खुली वकालत करने वाली बातें घर-घर पहुँच रही हैं."
एक अनाम विद्वान ने कहा:---
"खाना के कौर मुंह में हो और आँखें टीवी के हिंसात्मक दृश्यों पर हो तो तन-मन और जीवन में हिंसा का पदार्पण होगा ही. "