सोमवार, 8 मार्च 2010

महिला भगवान् का दूसरा रूप

अरुंधती रॉय : अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने विद्वतापूर्ण व्याख्यान से लोगों को लाभ पहुंचाने वाली जानी-मानी हस्ती




अमेरिका देवी और तीलिया देवी : इन दोनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में विकास और शांति का परचम लहराया है।







मेघा पाटेकर : पिछले २५ वर्षों से अधिक समय से नर्मदा बाँध से विस्थापित हज़ारों लोगों के लिए काम कर रही हैं।













मित्रों! किसी ने सही ही कहा है कि भगवान सब जगह नहीं रह सकता है इसलिए उसने माँ की श्रृष्टि की है। इन महिला शक्तियों को शत-शत नमन!

स्त्री सशक्तिकरण नहीँ, पुरुष सशक्तिकरण की जरुरत

स्त्री सशक्त है ही क्योँकि वह सीधी, सरल और सच्ची है। पुरुष कमज़ोर है इसलिए वह स्त्री पर हिँसा का प्रदर्शन करता है।

रविवार, 7 मार्च 2010

वह आत्महत्या कर ली...पूछो क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
वह सुन्दर थी
वह सुशीला थी
वह गुणवती थी
वह पढ़ी-लिखी थी
उसमें भी आकाश को छू लेने का जज्बा था
वह भी नभ का सितारा बन चमक सकती थी
मगर वह आत्महत्या कर ली...पूछो क्यों?

अगर वह किसी की अर्धांगिनी होती
तो जीवन जीना सहज ही होता
अगर वह माँ हो जाती
बच्चे अच्छे संसर्ग में ही पलते-बढ़ते
जिस परिवार में वह मिलती
मिलकर ही वह रह जाती
घर टूटने से पहले शायद वह टूट जाती
भूल जाती अपने सारे दुःख
मानो वह है ही नहीं
विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी वह सबको खुश रखती
मगर वह आत्महत्या कर ली... पूछो क्यों?

हाँ, हाँ, बताओ ऐसा क्योंकि वह?
...तो सुनो---
वह एक गरीब बाप की बेटी थी
बाप ने उसे पढ़ा-लिखाकर
बी० ए० पास कराने का गंभीर अपराध किया था।
वह सोच रहा था बड़े ही आसानी से ढूंढ लेंगे
किसी पढ़े-लिखे अच्छा खाने-कमाने वाला दूल्हा
मगर उस बेचारे बाप को क्या मालूम था
क्या है बाज़ार में ऐसे दूल्हों का भाव
अपनी लाडली बिटिया के लिए
एक अच्छे से दूल्हे की खोज में
सालों भटकते रहे
समय, श्रम और धन की खूब हुई बर्वादी
पर दहेज़ की ऊँची मांग ने
कुल नतीजे को सिफर बना दिया।

बेटी बोली--बापू मेरे शादी किसी भीखमंगे से भी करा दो
तो मैं तुम्हें 'ना' न कहूँगी
पर जरा आप ही बताइये
क्या कोई बाप ऐसा करना चाहेगा?
घर में माँ बीमार-चिंतित, पिता हताश-निराश
बड़ा भाई और छोटी बहन हैरान-परेशान
और बेटी की तो सोच-सोचकर
आधी जान निकल गई थी
वह और पढ़कर कोई नौकरी हासिल करना चाहती थी
माँ-बाप पर बोझ नहीं बनना चाहती थी
मगर माँ-बाप ने सोचा कि
जब इतना पढ़ाया तो यह हाल है
और पढ़के न जाने क्या होगा
यह सोचकर बेटी की बात नहीं मानी
पर बेटी घर के सभी लोगों को
चिंता से मुक्त करना चाहती थी
जब कोई उपाय न दिखा
तो अचानक उसे सूझा रामबाण उपाय
और वह आत्महत्या कर ली
अब उसके घरवाले बेटी के इस अप्रत्याशित मौत पर खुश हुए या दुखी
तुम मत पूछना...