जब किसी को कुछ पल के लिएबेहोश करने के
लिएक्लोरोफार्म सुंघाया जाता था…
फिर एक ज़माना आया…
जब कुछ घंटों के लिए किसी को
बेहोश करने के लिए ….नशीली दवा और इंजेक्शन का प्रयोग किया जाने लगा…..
…और एक ज़माना यह है…
न क्लोरोफार्म…न दवा …न कोई इंजेक्शन…
अब किसी को बेहोश करने के लिए चाहिए
बस एक टेलिविज़न …..
सिनेमा, सीरियल या फिर क्रिकेट दिखाते रहिये
वे घंटे दो घंटे नहीं…सालों बेहोश रह सकते हैं….
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
KAZH आपके बहुमूल्य टिप्पणियों का स्वागत करता है...
हिंदी में लिखने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.