रविवार, 4 जनवरी 2009

क्या आप भी TELEVISIONITIS के मरीज़ हैं?

@टीवी पर दिखाए जा रहे फिल्मों एवं सीरियलों के झूठे, मनगढ़ंत और तन-मन-जीवन को दूषित करने वाली कहानियो को सच्ची मानकर इन्हीं के अनुरूप जीने लगना.
#टीवी पर विज्ञापित वास्तु पर जरुरत से अधिक विश्वास करना और सिर्फ़ इन्हीं वस्तुओं को खरीदना और उपयोग करना.
@सीरियल और फ़िल्म के नट-नटीनियों और क्रिकेट खिलाड़ियों को भगवान्, अपना रोल मोडल या कोई अजूबा आदमी मानने लगना.
#टीवी-सिनेमा के कलाकारों की नक़ल उतारते हुए ख़ुद भी और अपने बेटे-बेटियों के द्वारा भी वैसे ही कपड़े और फैशन को अपनाना.
@अपने बेटे-बेटियों को फिल्मी जोकरों की तरह रिकॉर्डिंग डांस और फिल्मी गाने सिखवाने की जूनून सवार होना.
#पति-पत्नी के बीच रोज-रोज झगडे एवं विवाद होना.
@अपने बच्चों के शिक्षा एवं संस्कार देने के प्रति लापरवाह होना.
#पति या पत्नी या फिर दोनों का विवाहेतर सम्बन्ध रखना.
@स्कूल-कॉलेज जाने वाले लड़के-लड़कियों द्वारा एक-दूसरे को फिल्मी हीरो-हिरोइन समझते हुए प्यार का चक्कर चलाना और चोरी-छिपे देह-मिलन का खेल खेलना.
#घर में कैदी की तरह बंद होकर दिन-रात टीवी से चिपके रहना और अपने बच्चों में भी टीवी देखने की आदत डालना.
@अपने पड़ोसियों से ज्यादा फ़िल्म-सीरियल के कलाकारों के बारे में जानकारी रखना.
#सुंदर-सुहावने प्राकृतिक दृश्यों को देखने के लिए कभी घर से बहार न निकलना. दिन-भर बस टीवी के विभिन्न चैनलों के नकली प्राकृतिक दृश्यों को देखकर ही संतोष कर लेना.
@सिगरेट, शराब एवं कोल्ड ड्रिंक पिने की आदत का लगना.
#बच्चों का पढ़ाई-लिखाई में रूचि न लेकर फ़िल्म और सीरियल देखने में अधिक रूचि लेना.
@घर-बाहर, स्कूल-कॉलेज, चलती बस या ट्रेन में, विभिन्न सभा-सम्मेलनों में लोगों का आपस में गप्प लड़ाने का विषय फ़िल्म, सीरियल या क्रिकेट का होना.
#बच्चों का छोटी उमर में बड़ी-बड़ी बातें karna.हिंसा-अपराध की घटनाओं में दस से बीस साल के बच्चों का शामिल होना.
@कमर दर्द, मोटापा, तनाव, आँख सम्बन्धी रोग, अस्थमा, पीठ दर्द आदि rogon से grasit होना.
जरा TELEVISIONITIS के इन LAKSHANON पर गौर FARMAIYE.

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