रविवार, 5 जुलाई 2009

इन्टरनेट की माया अपरम्पार है भइया!!!

इन्टरनेट! इन्टरनेट!! इन्टरनेट!!! हर तरफ़ इन्टरनेट की धूम। हर शहर और गाँव इन्टरनेट की गंगा में उछलने- कूदने के लिए बेताब है। इन्टरनेट कैफे एक नए उत्तर आधुनिक व्यवसाय के रूप पैर पसार रहा है। मुन्ने और मुनियाँ घर से स्कूल-कालेज या फिर ट्यूशन या दोस्त मिलने के बहाने निकलकर किसी न किसी कैफे में घुस जाते हैं और इन्टरनेट बाबा की शरण में आकर अपना सुध-बुध खो बैठते हैं। घर-घर में भी इन्टरनेट कनेक्शन लिए जा रहे हैं। और अब भारत में थ्री-जी सेवा के तहत मोबाइल तक इन्टरनेट को और व्यापक रूप में लाने के लिए प्रयास हो रहे हैं।
फिर शुरू होता है- इन्टरनेट पर नए-नए विपरीत-लिंगी दोस्त बनाने का सिलसिला। ई-मेल और चैटिंग और अपने तस्वीरों का आदान-प्रदान खूब धकधक चल रहा है! घर में कहीं पति महोदय देशी-विदेशी प्रेमिकाओं के चक्कर में पड़े हैं तो कहीं पत्नी साहिबा किसी प्रेमी के चक्कर में फंसकर अपने घर-परिवार को तहस-नहस कर रही हैं।
इन्टरनेट पर हर चीज की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। इन्टरनेट पर अश्लील तस्वीरों की वेबसाइट की भरमार है मगर किसी की क्या मजाल जो इस पर रोक लगा de . आज इन्टरनेट पर नशीली दवाओं के व्यापार फल-फूल रहे हैं। जुए का नया धंधा खूब चल रहा है और वह भी बेरोक-टोक। यहाँ प्रस्तुत कुछ अखबार की कतरनें---




साभार: हिन्दुस्तान



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