सोमवार, 23 मार्च 2009

आप बताएं कौन है असली बलात्कारी ???

प्रिय साथियों! देश में बलात्कार की दर रफ़्तार पकड़ रही है। हर आठ-दस मिनट में एक बलात्कार हो रही है। आने वाले समय में सेकंड और नैनो सेकंड में बलात्कार होगी, कहना नहीं चाहता मगर मीडिया के रुख को देखकर कहना पड़ता है। एक तरफ़ ये बलात्कार की ख़बर चटखारे ले-केकर छापते हैं, तो दूसरी तरफ़ अश्लीलता फैलाने में कोई कसार नहीं छोड़ते। वियाग्रा, कंडोम, मर्दानगी बढ़ाने वाली दवाइयाँ , महिलाओं के अंतर्वस्त्रों के विज्ञापन के बहाने हर अखबार और पत्रिकाएं अश्लीलता परोस रहे हैं। टीवी चैनल तो सारी हदें पार कर रही हैं। तभी तो देश की नारियों का छेड़छाड़ से आरती और बलात्कार से पूजा की जा रही हैं। एक हिन्दी अखबार का नमूना देखिये। एक तरफ़ दुष्कर्म के प्रयास की ख़बर है और दूसरी और अश्लीलता को हवा देता एक विज्ञापन है। जरा आप ही बताइए की कौन हैं असली बलात्कारी--आम आदमी जो खून के रिश्ते को भूलकर भी बलात्कार कर बैठता है या फिर आज का मीडिया जो फ़िल्म, धारावाहिक, विज्ञापन, संगीत के माध्यम से केवल और केवल अश्लीलता फैलाते हैं और आम लोगों को बलात्कार के लिए प्रेरित कर जेल की हवा खिलाने में एक बड़ी भूमिका अदा करते हैं।






1 टिप्पणी:

  1. आज के जमाने में अश्लीलता का सूत्रधार हमारा समाज ही है, जो उन्मुक्तता के आड़ में अपनी सामाजिकता की बलिवेदी चढाकर अपने स्वाभिमान को बिकाऊ बना दिया है. परिणामस्वरूप आज समाज अपनी परंपरा लोक परवाद , लोक मान्यताएं को तिलांजली देकर समाज के अपभ्रंश में गोते लगाना पसंद कर रहे हैं. इस कारन अश्लीलता सुरसा की तरह मुह बाएँ कर खड़ी है और हमारा समाज अश्लीलता और बलात्कार के प्रति चीख चीखकर यह बता रही है कि हमारा समाज पाश्चात्य संस्कृति के नक़ल में अवनति की और जा रही है. किन्तु सच तो यह है कि अश्लीलता, व्यभिचार आदि में हमारा समाज खुद जिम्मेवार है. जरुरत है सांगठनिक रूप से DIAGNOSIS करने का.

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