हर गाँव...हर शहर में...
हर गली...हर घर में...
कोई न कोई...किसी न किसी न किसी के...
हो सकता है... प्यार के चक्कर में....
स्कूल--कालेज, होटल---पार्क या फिर "डेटिंग प्लेस"
कहीं भी खेला जा रहा होगा यह घिनौना खेल
घरवालों की बदनामी... रिश्तों में दरार....
एड्स के खतरे... जीवन में अन्धकार ही अन्धकार....
सावधान! आप भी पड़ सकते हैं इस चक्कर में
रोकिये ख़ुद को... बताइये टीवी--सिनेमा के नकलचियों को
लड़के--लड़कियों की प्यार भरी बातें...प्रेम-पत्रों का आदान-प्रदान...इन्टरनेट पर चैटिंग...चुम्बन...आलिंगन...देह मिलन का खेल...प्यार नहीं एक खतरनाक बीमारी है.....
अभिभावकों से
कड़ी नज़र रखिये अपने बेटे-बेटियों पर...फ़ोन पर बातें करते हुए...घर से बहार रहते हुए...स्कूल-कॉलेज में पढ़ते-लिखते हुए भी...प्रेम का चक्कर चला रहे हो सकते हैं...रोकिये उन्हें फिल्मी जोकरों की नक़ल करने से... वरना बदनामी... पछतावा... निराशा... दुःख के दिन समझिये अब आने ही वाले हैं...
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यह प्यार नहीं बीमारी है
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प्यार...यानी आत्महत्या...हत्या...बलात्कार...
आपकी बातें सही है लेकिन मानता कौन है ? फ़िर बाजार का हाल ...किसे रोकें किसे संभालें
जवाब देंहटाएंइसी का समय आ गया है..नजरिया नर्म करना होगा और बच्चोम कोरोकने के बदले सजगता का पाठ देना होगा, तब काम बनेगा....रोके तो कुछ न रुके.
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